बड़प्पन का भ्रम – एक नज़रिया

नीरजा बेटा! देखो तेरी गैरमौजूदगी मे राजू ने बड़ा खराब रिजल्ट किया है । वापस जाने के पहले उसे थोड़ा पढ़ा देना ।’

नीरजा  बेटा! वापस जाने से पहले जरा सिन्हा अंकल को फ़ोन मिला के मेरे ये जरूरी कागजात समेटवा देना ।

नीरजा बेटा! वापस जाने से पहले बैंक मैनेजर से बात कर ये हिसाब उसे समझा देना ।

अनंत जब भी अपनी पत्नी नीरजा को उसके मायके यानीकि अपनी ससुराल लेकर आता, उसे अपने ससुर और सास के मुँह से कुछ ऐसी ही बातें सुनने को मिलती । वो सोचता कि नीरजा अपने मायके मे सब भाई बहनों मे सबसे बड़ी है, इसलिए विवाह के पहले वही घर की सर्वेसर्वा रही होगी । अब उसके ससुराल चले जाने के कारण घर अव्यवस्थित रहता होगा । जाहिर है इतने दिनों से रुके तमाम कामों मे नीरजा के माता पिता को उसकी मदद की जरूरत होगी और मेरे यहाँ रुकने से उनमें व्यवधान ही होगा, ये सब सोच वो जल्द से जल्द वहाँ से भाग खड़ा होता । फिर वो उसी दिन वहाँ जाता जिस दिन नीरजा को अपने घर वापस आना होता ।

कहानी संग्रह “भेद भरी…” से