सरबतिया अभी भी डरी सहमी चादर लपेटे पलंग पर बैठी थी। जब जब नरेन्द्र सिंह की उस पर नज़र पड़ती तो गुस्सा और बढ़ता। ये गुस्सा इतना बढ़ा कि वो सरबतिया का नाम ले गन्दी गन्दी गालियाँ बकने लगे। डरी सहमी होने के बावजूद अपमान सहते सहते सरबतिया के सब्र का बांध तब टूट गया जब नरेन्द्र ने उसे गन्दी नाली कह दिया। बस उसके मुँह से भी निकल गया कि मुझे गन्दी नाली कह रहे हो लेकिन जिस गटर मे तुम मुँह मारना चाहते थे उससे तो ये गन्दी नाली बहुत साफ़ सुथरी है। ये सुनते ही क्रोध मे अंधे हो रहे नरेन्द्र मे एक झटके से अपना रिवाल्वर वाला हाथ मुंशी जी के डर से काँपते हाथों से छुड़ाया और सरबतिया की ओर घुमाया। ये देख भावी अनहोनी की आशंका से अच्छू, नरेन्द्र के रिवाल्वर वाले हाथ पर झपटा । लेकिन वो शरीर का संतुलन न बरकरार रख सका और दोनों एक दूसरे को लिए दिये ज़मीन पर गिर पड़े। तभी गोली चलने की आवाज़ आई, जिससे एक क्षण को सन्नाटा सा हो गया। किसी की समझ मे ही नहीं आया कि दरअसल हुआ क्या ?
रेप के केस 90% झूठे पाए जाते हैं।
-वरिष्ठ न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह
इल्ज़ाम को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए, न कि मुल्ज़िम की कमजोरियों की बैसाखी के सहारे।
-दिल्ली हाई कोर्ट
अकेले सर्वोच्च न्यायालय मे ही 70,154 मुकदमे लंबित हैं। देश के 25 उच्च न्यायालयों मे भी 58 लाख 94 हजार 60 केस अटके हुए हैं। निचली अदालतों में बेहिसाब मामले हैं। कुल मिल के देश की अदालतों में 4.70 करोड़ मुकदमे लंबित हैं। भारतीय न्यायपालिका को एक सम्पूर्ण कायाकल्प की आवश्यकता है। क्या आप इस उद्देश्य मे मेरे साथ हैं?
सत्य घटनाओं पर आधारित उपन्यास सरबतिया BA LL B प्राप्त करने के लिए लिंक