अकेला अंग्रेज़
वक़्त हमारी शख़्सियत मे क्या बदलाव लाया?
हमने अबतक क्या खोया क्या पाया ?
एक ब्रिटिश प्रोफेसर के बेटे को पता चलता है कि उसकी जड़ें भारत मे हैं। वो उन्हें खोजता हुआ भारत आता है। और फिर शुरू होती है हालात के हाथों दूर हुए अपनों और अपने पुरखों की बीती जिन्दगी की तमाम खट्टी, मीठी, कड़वी, हैरतअंगेज और चौंकाने वाली घटनाओं की श्रृंखला। यहाँ के लोगों से अपना करीबी लेकिन विदेशी होने का अजीब सा अहसास। कहीं अपनापन तो कहीं खतरा। हिन्दुस्तान की तमाम गैरमुनासिब दिक्कतों के लिए सिर्फ अंग्रेजों की ओर उंगली उठाने के बजाय अपने इतिहास को एक विश्लेषणात्मक नजरिया देने की कोशिश।
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