कौए

अधीर अपने नाम के अनुसार ही एक स्वच्छंद, उच्शृंगल और उद्दंड प्रकृति का व्यक्ति है कौवे की तरह चौकन्ना, चालाक परन्तु उतना ही सहजबुद्धि से हीन । चालाकी पकड़े जाने पर वो और उसके घरवालों का तर्क होता है कि बेचारे को इस बात का ज्ञान ही नहीं कि वो चालाकी या कोई गलत कार्य कर रहा था इसीलिए पकड़ा गया यानिकि वो और उसके घरवालों ने बुद्धिहीनता को भोलेपन की संज्ञा प्रदान की हुई थी । अपनी मूर्खता के कारण किसी संस्था, संगठन या व्यक्ति से धोखा खाने पर उस संस्था, संगठन या व्यक्ति से सवाल करने के बजाय, उसी युक्ति से किसी और को उसी प्रकार के धोखे मे फँसा…

कहानी संग्रह “भेद भरी…” से