Category Archives: Hindi Poems

गुरुशिष्य संवाद

पूछा दूरभाष पर, शिष्य ने गुरू से

हैं आप कैसे

बताया गुरू ने, जैसे पहले थे फ़क्कड़

हम हैं अब भी वैसे

बेटा तू है कैसा,

नमन ईश्वर को जिसने तेरी आवाज़ सुनाई

क्षणिक सन्नाटे के बाद उधर से आवाज़ आई

कच्ची मिट्टी का ये बर्तन, बनाया था तुमने जैसा ।

संस्कारोज्ञान की धूप में, सुखाया था अपने जैसा ॥

दुनियाँ के इस आँवे में, रख दिया तब तो वैसा ।

अब देख लेना खुद ही, दिखता है अब वो कैसा ॥