एक कस्बे मे विवेक और हरीश नाम के दो व्यक्ति रहते थे । विवेक किसान था और हरीश नगरपालिका मे बाबू । दोनों के मकान अगल बगल थे । दोनों मे अच्छी दोस्ती थी । शाम को जब हरीश दफ्तर से आता तो दोनों दोस्त, विवेक के खेतों पर सैर को जाते थे । विवेक के मकान के दूसरी ओर पवन नाम का किसान रहता था । विवेक और पवन के मकान भी एक दूसरे से जुड़े हुए थे पर दोनों परिवारों मे छोटी छोटी घरेलू बातों को ले कर आए दिन झगड़ा होता रहता था । इन झगड़ों मे सुगठित शरीर वाले बलिष्ठ पवन के सामने, सामान्य स्वास्थ्य वाले विवेक का पलड़ा कमजोर रहता था । परन्तु ऐसे मौकों पर हरीश उसका साथ देता था, इसलिए झगड़े विकराल रूप तो नहीं लेते थे परंतु मनमुटाव बना रहता था ।