अपराधबोध

धनंजय शर्मा ने आज सफलता के वो सभी लक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं जो उसने अपने लिए निर्धारित किए थे । एक छोटी सी फैक्ट्री मे ट्रेनी (प्रशिक्षु) इंजिनियर (अभियंता) से प्रारम्भ कर, आज वो एक बहुत बड़े सरकारी प्रतिष्ठान का चीफ (मुख्य) इंजिनियर  है । आज अपने दफ्तर मे बैठे बैठे उसे याद कर रहा था अपना वो बीता हुआ समय, जब वो एक नवजवान इंजिनियर था, हर समय कुछ कर गुजरने की तमन्ना लिए, ऊर्जा और उत्साह से भरा हुआ ।

अचानक एक घटना को याद कर वो थोड़ा खिन्न हो उठा । बात तब की है जब वो एक सरकारी प्रोसेस फैक्ट्री मे असिस्टेंट इंजिनियर था । इस फैक्ट्री मे कच्चे माल को प्रोसेस करने के बाद जो अवशेष बचता था उसे ही फैक्ट्री चलाने के लिए ईंधन के रूप मे इस्तेमाल किया जाता था ।

कहानी संग्रह “भेद भरी…” से